लेखनी प्रतियोगिता -30-Dec-2021 ऐसे कैसे कर सकती हो
बोर्ड के एग्जाम आने वाले हैं बहुत टेंशन हो रही है।
न जाने कैसे सब होगा?
"बेटा हिम्मत रखो ,सब सही होगा ,तुम अपनी तरफ से कोशिश तो कर रही हो"। बस अपनी तरफ से कोशिश करना है, और जितना अच्छे से अच्छा हो सकता है वह एग्जाम में करना,बिल्कुल भी टेंशन मत लो।
हां मम्मी आप बिल्कुल सही कह रहे हो ।लेकिन टेंशन तो होती ही है, न जाने पेपर कैसा आएगा कहीं वहां मैं सब कुछ भूल जाऊं तो।
तभी तो कह रही हूं बेटा टेंशन न लो, सिर्फ अपना ध्यान पढ़ाई पर लगाओ फिर जो होगा देखा जाएगा।
अच्छा मम्मी
निक्की को पढ़ाई की हमेशा चिंता रहती है। वह हमेशा अव्वल आती है ।लेकिन अबकी बार उसको बहुत टेंशन हो रही है । कैसे होगा पेपर नजदीक आते जा रहे हैं ।
आखिर पेपर हो गए ।वह सभी पेपरों में निक्की बहुत चिंतित रही ।उसकी मम्मी ने बहुत हौसला अफजाई की फिर भी वह दिन-रात इसी चिंता में रहती है कि न जाने कैसा रिजल्ट आएगा।
आखिर रिजल्ट का दिन आया और कुछ ही नंबर से निक्की सेकंड पोजीशन पर आई ।उसने घर पर नहीं बताया और टेंशन में घर से दूर जाकर एक पार्क में वहां अपने कलाई की नस काट ली।
उसके किसी दोस्त ने देखा.. निक्की पार्क में है। तो वह उसको आवाज लगाई , लेकिन निक्की ने उसको देखा नहीं ।वह उसके पास गई और देखते ही बोली ,यह हाल क्या किया हुआ है ।उसने जल्दी से घर पर फोन किया और निक्की को नजदीक के हॉस्पिटल में एडमिट किया। उसकी मम्मी जान यह हैरान रह गई की निक्की थोड़े से नंबरों के लिए ऐसे कैसे कर सकती है, उसे अपने मां-बाप की बिल्कुल भी चिंता नहीं है कुछ नंबर ऊपर नीचे हो जाने पर उसने अपना यह हाल बना लिया है।
जल्दी से उसकी मम्मी हॉस्पिटल पहुंची। समय पर हॉस्पिटल जाने की वजह से निक्की की जान बच गई।
लेकिन निक्की की मम्मी ने उसको बहुत गुस्सा किया 'कि बेटा पहले तुम्हारी जान है हमारे लिए, उसके बाद तुम्हारे नंबर या कोई पोजीशन"। आगे से कभी ऐसा गलत कदम नहीं उठाना, तुमने एक बार भी नहीं सोचा अपने मां बाप के बारे में। तुम ऐसा कैसे कर सकती हो, बताओ तुम ऐसा कैसे कर सकती हो।
निक्की को जब होश आया। तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। और वह अपनी मम्मी से लिपट गई । मम्मी आगे से कभी ऐसी गलती नहीं करूंगी मुझे माफ कर दीजिए।
आजकल बच्चे अपने मन में हमेशा अव्वल आने का ख्वाब सजा लेते हैं और जरा सी ऊँच-नीच हो तो सहन नहीं कर पाते।
पढ़ाई बहुत जरूरी है, लेकिन कुछ प्रतिस्पर्धा के लिए आत्महत्या करना क्या सही है । आजकल की जनरेशन इस बात को नहीं समझती कि माता-पिता के लिए वह सबसे पहले हैं। उसके बाद उनकी पोजीशन या कोई रुतबा । आजकल बच्चे जरा भी दिमागी भार सहन नहीं कर पाते ,और गलत कदम उठा लेते हैं ,उनका जीवन तो खत्म हो जाता है, लेकिन मां-बाप का जीवन भी उसके साथ समाप्त हो जाता है।
यदि आजकल के बच्चे इस बात को समझें तो जिंदगी आसान हो जाए। "सफल होना जरूरी है। लेकिन अपनी जान से ज्यादा नहीं।"
संघर्ष करना इंसान के हाथ में है। जब वह अपनी जान ही खत्म कर देगा अपने आप से हार जाएगा। तो फिर क्या फायदा ऐसे मानव शरीर का। सबका ध्यान रखते हुए ,अपनी कोशिश करते रहो ,और तो बाकी सब मुश्किल समय के साथ हल हो ही जाएगी।
इस तरह की कोई भी समस्या आए तो सुसाइड प्रीवेंशन हेल्पलाइन 9152987821 पर बातचीत द्वारा आपकी मदद होगी।
Seema Priyadarshini sahay
07-Jan-2022 10:50 PM
बहुत बढ़िया
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Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI
31-Dec-2021 08:04 AM
Wah
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Shrishti pandey
31-Dec-2021 12:00 AM
Nice one
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